Wednesday 22 April 2009

गांव में बनाएं आशियाना

मुंबई के एक अखबार ने एक विज्ञापन छापा है। सिर्फ आठ लाख रुपए में गांव में खरीदें अपना घर। उसके साथ पाएं खेती करने के लिए थोड़ी सी जमीन भी। यानी अब कई बिल्डर आपको गांव में मकान बना कर दे रहे हैं। यह इस बात का सूचक है कि काफी लोग अपने सूकून भरे दिन अब गांव में गुजारना चाहते हैं। इनमे वैसे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने कभी गांव नहीं देखा हो। ऐसे तमाम लोगों को मिलाकर एक नए गांव का निर्माण हो रहा है। यह आपके सपनों का गांव भी हो सकता है।
शहर के अपार्टमेंट में बालकोनी पर लटके हुए वक्त गुजारने के अच्छा है कि गांव में आपका घर हो और उसमें एक छोटी सी फुलवारी भी हो। अगर यह गांव शहर के पास ही हो तो क्या कहना। जब आपके पास अपनी कार हो तो जब चाहे आधे घंटे में शहर की ओर पहुंच जाइए। जब चाहे फिर गांव की ओर वापस। इसलिए कई लोगों के जेहन में अब यह ख्याल आ रहा है कि गांव में रहे तो अच्छा हो। अगर गांवों को योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया हो तो बात ही क्या है।
फिलहाल गांवों में खुली हवा होती है घर भी होते हैं पर आम तौर घर बनाते वक्त शहरों जैसी प्लानिंग नहीं की जाती है। पंजाब के कई गांवों आर्किटेक्ट की मदद से योजना बनाकर घर बनाते देखा जा सकता है। आमतौर पर यह देखा गया है कि गांवों में लोगों के पास जमीन की कोई कमी नहीं होती इसलिए लोग अपनी जरुरत के हिसाब से घर में विस्तार करते जाते हैं। अगर यही घर योजनाबद्ध तरीके से बनाए जाएं तो इसके कई फायदे हो सकते हैं। इसलिए अब अगर आप आप अपने गांव के घर को भी नया रूप देने के मूड में हैं तो उसका नक्सा किसी वास्तुकार से बनवा लें तो अच्छा रहेगा। गांव के घर में रेनवाटर हार्वेस्ट सिस्टम लगवाया जा सकता है। इसके साथ ही सोलर लाइटिंग सिस्टम लगवाने पर भी विचार किया जा सकता है। मोटर गैराज और गोबर गैस प्लांट पर भी विचार कर सकते हैं।
बैंक लोन भी - अगर आप गांव में घर बनवाने के लिए कर्ज लेना चाहते हैं तो उसके लिए भी कई बैंक हाउसिंग लोन देने को तैयार बैठे हैं। इसमें आईसीआईसीआई बैंक से बात करते हैं वह गांवों के घर के निर्माण के लिए खास तौर पर कर्ज दे रहा है। इसके अलावा जिस बैंक के आप पुराने ग्राहक हैं वहां भी कर्ज लेने के लिए बातचीत कर सकते हैं।
रूरल हाउसिंग प्रोजेक्ट - कई राज्यो में गांवों में योजना बद्ध तरीके से सेक्टरों का विकास किया जा रहा है। हरियाणा में 10 हजार से अधिक आबादी वाले गांवों में हाउसिंग डेवलपमेंट आथरिटी सेक्टरों का निर्माण करने जा रही है। इसमें लोग अपने घर नियोजित तरीके से बना सकेंगे।
अब अगर को ई यह दंभ भरता है कि वह शहर में रहता है तो यह कहीं से भी कोई गौरव की बात नहीं है। लोगों को यह पता चल गया है कि शहरी जीवन के क्या क्या नुकसान है। सबसे बड़ा नुकसान तो यही है कि वहां शुद्ध हवा तक नहीं मिलती। ऐसे में गांव में रहने के अपने फायदे हैं। दिल्ली व मुंबई में हजारों ऐसे लोग हैं जो अपने ही शहर में रहते हुए रोज दफ्तर आने जाने में 2+2 चार घंटे गुजार देते हैं। आप दिल्ली मुंबई के कई कोने से आसपास के किसी गांव में भी एक या दो घंटे में जा सकते हैं। यहां गांव में रहकर आप जो सुकुन और आराम महसूस कर सकते हैं वह शहरों में नहीं मिल सकता है। आजकल कई ऐसी बीमारियां भी हैं जो शहरों को लोगों को ही ज्यादा होती हैं। इसलिए आप बेहतर जीवन के लिए किसी गांव में जाने के बारे में सोच सकते हैं।

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