Sunday 12 January 2014

अब आ गया हाई डेफनिशन टीवी का दौर

दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेलों की शुरूआत के साथ ही एक और इतिहास रचा जा चुका है। टेलीविजन प्रसारण के क्षेत्र में हमने हाईडेफनिशन यानी एचडी टीवी के दौर में कदम रख दिया है। 1982 में जब भारत में एशियाई खेलों की शुरूआत हुई थी तब पहली बार देश में रंगीन प्रसारण की शुरूआत हुई थी। अब साल 2010 में डीडी एचडी टीवी नामक नया चैनल शुरू कर चुका है। हाई डेफनिशन टीवी पर तस्वीरें परंपरागत टीवी की तुलना में पांच गुनी ज्यादा साफ दिखाई देती हैं। हालांकि अभी देश में हाई डेफनिशन टीवी देखने वालों की संख्या महज तीन लाख के आसपास है, लेकिन जल्द ही इस संख्या में इजाफा होगा। अगर दुनिया की बात करें 2003 में पहली बार अमेरिकन फुटबाल का प्रसारण हाई डेफनिशन टीवी पर हुआ था। तो डिश टीवी, रिलायंस बिग, सन डाइरेक्ट समेत कई डीटीएच आपरेटरों ने हाई डेफनिशन टीवी का प्रसारण अपने नेटवर्क पर शुरू कर दिया है।लेकिन हाई डेफनिशन टीवी का मजा लेने के लिए आपके डीटीएच का सेट टाप बाक्स भी हाई डेफनिशन रेडी होना चाहिए। यानी पुराने सेट टाप बाक्स को बदलना पड़ेगा। साथ ही अगर आपके पास परंपरागत सीआरटी यानी कैथोड रे ट्यूब वाला टीवी सेट है तो उस टीवी सेट को भी बदलना पड़ेगा। आजकल बाजार में जितने भी एलसीडी,एलईडी या प्लाज्मा स्क्रीन मिल रहे हैं, सभी हाई डेफनिशन रेडी हैं।


क्या है अंतर-
हाई डेफनिशन टीवी की स्क्रीन का अनुपात 16:9 का होता है। जबकि परंपरागत सीआरटी टीवी का 4:3 का। यानी हाई डेफनिशन टीवी में स्क्रीन की चौड़ाई अधिक होती है, जैसा कि आप बाजार में मिलने वाले नए टीवी स्क्रीन और लैपटॉप आदि के स्क्रीन को देखते होंगे।समान्य टीवी एनलाग टेक्नोलाजी पर काम करता है जबकि एचडीटीवी डिजिटल तकनीक पर काम करता है।रिजोल्यूशन ज्यादा होने के कारण इस तरह के टीवी पर आपको तस्वीर बिल्कुल साफ दिखाई देगी। काफी हद तक वैसे जैसै घटनाएं आपकी आंखों के सामने घट रही हों। समान्य भाषा में हम कह सकते हैं कि एचडीटीवी में तस्वीर की स्पष्टता समान्यटीवी से पांच गुनी ज्यादा होगी।

परंपरागत टेलीविजन में जो तस्वीरें आपदेखते हैं वह कई सौ ब्राइटनेस लाइनों से मिलकर बनती हैं। इन लाइनों में छोटे-छोटे डाट्स (बिंदु) होते हैं जिन्हें हम पिक्सेल कहते हैं। आमतौर पर एनलाग रंगीन टीवी में 525 ब्राइटनेस लाइन होती हैं जबकि हर लाइनमें 500 डाट्स होते हैं। इनसे मिलकर ही बनती है आपके टीवी की मुकम्मल तस्वीर। एनलॉग टीवी एनटीएससी ( नेशनल टेलीविजन स्टैंडर्ड कमिटी) तकनीक पर काम करता है। इसमें अधिकतम 525 लाइनें होती हैं जिनमें 480 ही दिखाई देती हैं। समान्यतः टीवी की तस्वीर कुल 2.10 लाख पिक्सेल से बनती है। जबकि एचडीटीवी में तस्वीर 20 लाख पिक्सेल से बनती है। यानी एनलाग टीवी से तस्वीर 10 गुनी साफ दिखाई देगी।

एचडीटीवी की विशेषताएं

1.तस्वीरों की जीवंतता, उच्चरिजोल्यूसन।

2 डाल्बीडिजिटल क्वालिटी की आवाज।

3.कंप्यूटरसे सीधे जोड़ने रिकार्ड करनेकी सुविधा


4. वाइडतस्वीर यानी अतिरक्त इमेज एरिया,स्क्रीन के चौड़ा होने के कारण एचडीटीवी में वाइड उपस्थिति होती है।टीवी स्क्रीन का अनुपात 16- 9 काहोता है। 


वैसी ही जैसी कीसिनेमास्कोप फिल्म देखतेसमय महसूस होता है। यानी प्रसारण में आप अतिरिक्त इमेज एरिया देख सकते हैं।

 5. एचडीटीवीमें 5.1 चैनलसीडी प्लेयर जैसी क्वालिटीकी आवाजहोती है। यानी आप घरमें होम थियेटर लगा सकते हैं।साथ ही डाल्बी डिजिटल क्वालिटीकी आवाज सुनी जा सकती है।

 6. एचडीटीवीमें तस्वीर का प्रसारण एमपीईजी-2 या एमईपीजी-4 तकनीकका इस्तेमाल होता है। वहीतकनीक जिसका इस्तेमाल कंप्यूटरोंमें तस्वीरें के लिए हो रहाहै। इसलिए एचडीटीवी की तस्वीरों को कंप्यूटर या मल्टी मीडियापीसी पर सीधे रिकार्ड कियाजा सकता है। 



अगर आप एचडीटीवी खरीद भी लेते हैंतो सिर्फ इतने से बात नहीं बनती। बेहतर क्वालिटी कीतस्वीर प्राप्त करने के लिएजरूरी है कि प्रसारक भी एचडीटीवीकी क्वालिटी पर ही प्रसारणकरें। अमेरिका और जापान केकई टेलीविजन प्रसारक अब इसतकनीक पर प्रसारण कर रहे हैं।यानी टेलीविजन स्टेशन के लिएतकनीक में अपग्रेडेशन जरूरीहोगा। भारत में भी डीडी एचडी के अलावा डिस्कवरी और नेशनल ज्योग्राफिक जैसे चैनलों ने एचडी प्रसारण शुरू कर दिया है। 

आने वाले दिनों में कई और ब्राडकास्टर इसतरह का बदलाव करने की तैयारी कर रहे हैं। टेलीविजनबनाने वाली कंपनियां धीरे-धीरेएचडीटीवी पर शिफ्ट कर रहीहैं। दुनिया भर के टीवी कंपनियोंने अब नए एनलॉग कलर टीवी का निर्माणपर रोक लगा दी है।

माधवी रंजना


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