Saturday 28 February 2015

कैसे वापस आए विदेशों में जमा धन

स्विस बैंकों की तिजोरी में भारतीय नागरिकों का रुपया बढ़ रहा है। ये वो रुपया है जो अधिकृत तौर पर जमा पर इससे बहुत बड़ी राशि कालेधन के रुप में स्विस बैंकों समेत दुनिया के कई देशों में जमा है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कालेधन को वापस लाने की बात कही थी। देश में कालेधन की एक समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है, जिसका आकार जीडीपी के करीब 50 प्रतिशत है। 


कैसे आए कालाधन
08वें नंबर पर है भारत एक दशक में सबसे ज्यादा कालाधन बाहर जाने वाले देशों की सूची में
123 बिलियन डॉलर पैसा कालेधन के रूप में देश से निकल गया एक दशक में (ग्लोबल फाइनेंस इंटिग्रिटी की रिपोर्ट)
कितना कालाधन
45 लाख करोड़ रुपये कालाधन जमा है विदेशों में फिक्की के एक अनुमान के मुताबिक।
72 लाख 80 हजार करोड रूपये है आईआईएम के प्रोफेसर आर वैद्यनाथन के मुताबिक विदेशों में जमा कालाधन।
25 लाख करोड़ की रक़म जमा कर रखी है भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी के मुताबिक।
100 लाख करोड़ का आंकड़ा देते है बाबा रामदेव विदेशी बैंकों में भारतीयों के धन का।
900 लाख करोड़ काला धन देश में ही छिपाया गया है बाबा रामदेव के मुताबिक

120 लाख करोड़ रुपये भारतीयों ने  विदेशों में काला धन रखा हुआ है, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक।
60 साल तक किसी को इनकम टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी अगर विदेशों में जमा कालाधन भारत में वापस आ जाए (सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक।
70 देशों में जमा है भारत के लोगों का कालाधन, जिसमें स्वीट्जरलैंड प्रमुख है।
30 हजार करोड़ रुपये लोकसभा चुनाव में किया गया खर्च जिसमें एक तिहाई कालाधन।
वापस लाने के सरकारी प्रयास
27 मई 2014 को एनडीए सरकार  कालाधन वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसआईटी का गठन किया।

कितना कालाधन
- 14,000 करोड़ रुपये से अधिक है स्विस बैंकों में भारतीयों का कुल जमा धन दिसंबर, 2013 तक
- 42 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है कालेधन में महज एक साल में। (स्विस नेशनल बैंक के अनुसार)
- 2014 के फरवरी में एक स्विस प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली आया था


जानकारी देने से इनकार
16 जून 2014 को विदेशों में जमा कालेधन को देश में वापस लाने की पहल के बीच केंद्र सरकार ने विभिन्न देशों के साथ दोहरे कराधान बचाव समझौते के गोपनीयता प्रावधानों का जिक्र करते हुए विदेशी बैंकों में खाता रखने वाले भारतीयों का ब्यौरा देने से इनकार किया। आरटीआई के तहत मांगी गई थी जानकारी।

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